बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज (हिंदी)

      बवासीर को दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय


 

             Bawaseer ka ilaj hindi mai(hindi)


आज दोस्तों मैं आपसे बात करने वाला हूँ एक खतरनाक और दर्द वाले रोग के बारे में /
    हाँ दोस्तों जिसे देशी भाषा में मस्सा हिंदी में बवासीर और अंग्रेजी में पाइल्स के नाम से जानते हैं /आज के इस शीर्षक में  मैं आपको बताऊंगा कि पाइल्स की कौनसी दवाइयां कौनसी कम्पनियाँ बनाती हैं और किस नाम से मिलती है /ये दवाइयां खुनी और बादी दोनों तरह की बवासीर में आराम दिलाती हैं /

दोस्तों हमारा जीवन एक मशीन की तरह से होता है इसका हमें बड़े ध्यान रख रखाव करना चाहिए लेकिन बहुत बार ऐसा होता है कि हमारी इस मशीन में कई प्रकार की परेशानियां आ जाती हैं जिसमें से बवासीर भी एक आज के युग की भयंकर रोगों की श्रेणी में आता है | तो आज मैं आपको बवासीर रोग के बारे जानकारी प्रस्तुत करूँगा| 

बवासीर को चार स्थितियों में बांटा जाता है (Piles Stages)

1. बवासीर की पहली stage - इसमें गुदा के आसपास सूजन होती है गुदा के अंदर छोटे आकार के मस्से होते हैं। 
2. बवासीर की दूसरी stage - इसमें मस्से का आकार बड़ा होता है और ये गुदा के अंदर होते हैं लेकिन कई बार ये मल के धक्का लगने से बाहर आ जाते हैं, पर इन्हें अंदर किया जा सकता है।
3. बवासीर की तीसरी stage - बवासीर के तीसरे स्तर को प्रोलैप्सड बवासीर के नाम से भी जाना जाता है। इसमें मस्से गुदा के बाहरी हिस्से पर डेवलप होते हैं, जिन्हें पीड़ित बाहर लटका हुआ महसूस कर पाता है।
4. बवासीर की चौथी stage - ये स्थिति सबस ज्यादा तकलीफदेह होती है। इसमें गुदा के बाहरी हिस्से पर छोटी गांठ बन जाती  है, जिसमें दर्द के साथ खुजली का एहसास होता है। ऐसे में अगर इस गांठ में रक्त जमा हो, तो इसका समय से इलाज करवाना बेहद जरूरी होता है।

Piles Treatment In Hindi(बवासीर का इलाज हिंदी में)

piles treatment at home HINDI


बवासीर के लक्षण (Piles Symptoms)
1. आमतौर पर बवासीर (Piles) के लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं। दरअसल पाइल्स गुदा के आसपास एक सख्त दर्दनाक गांठ महसूस होना ही है । जमे हुए रक्त वाली गांठ को थ्रॉम्बोस्ड पाइल्स Thrombosed piles  कहा जाता है। ये बाहरी सतह पर होती है।
2. स्टूल पास (मल त्याग) करने के बाद भी बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को आंत्र (पेट) साफ न होने का एहसास होता है।
3. मल त्याग के बाद रक्त आना ।
4. गुदा के आस पास के क्षेत्र में खुजली होना और लाल रंग के निशान होना।
5. मल के त्यागने के दौरान दर्द या जलन होना।
इन स्थितियों में बवासीर हो सकती है गंभीर
1. अगर बवासीर से पीड़ित व्यक्ति एनीमिया से भी पीड़ित हो, तो उसके लिए बवासीर रोग बहुत नुकसान दायक  साबित हो सकता है।
2. गुदा से अत्याधिक रक्त स्राव होने पर।
3. मल त्याग को नियंत्रित करने में असमर्थता।
4. इंफेक्शन होने पर।
बवासीर के कारण (Piles Causes)
1. गर्भावास्था दौरान 
2. पेट में कब्ज रहने के कारण 
3. डायरिया(अत्यधिक दस्त लगने की वजह से )
4. भारी वजन उठाना
5. आनुवांशिक और बढ़ती उम्र

6 . बहुत अत्यधिक परिश्रम 
बवासीर का इलाज (Piles Treatment In Hindi)

1. आंतरिक बवासीर का इलाज
आंतरिक बवासीर के लिए डॉक्टर्स डिजिटल रेक्टल टेस्ट (DRE)या एक खास तरह की दूरबीन का उपयोग करते हैं। यह खास तरह की दूरबीन लाइट लेस एक खोखली ट्यूब होती है जिसे गुदा  में डालकर मलाशय के अंदर छोटे ऊतकों का सैंपल लेकर टेस्ट के लिए भेजा जाता है।
डॉक्टर एक डिजिटल रेक्टल परीक्षा (DRE) कर सकता है या एक प्रॉक्टोस्कोप का उपयोग कर सकता है। एक प्रोक्टोस्कोप एक खोखली ट्यूब होती है जो प्रकाश से सज्जित होती है। यह डॉक्टर को गुदा नहर को करीब से देखने की अनुमति देता है। वे मलाशय के अंदर से एक छोटे ऊतक का नमूना ले सकते हैं।
इसे फिर विश्लेषण के लिए Labratry में भेजा जा सकता है। इसके अलावा डॉक्टर्स बवासीर के साथ पाचन तंत्र संबंधी बीमारियों और कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण दिखाई देने पर कोलोनोस्कोपी टेस्ट के लिए भी रेफर कर सकते हैं।
बवासीर का घरेलू उपचार (Piles Treatment At Home)
1. अगर आप बवासीर से परेशान हैं, तो ऐसे में नमक वाले गर्म पानी के टब में बैठना यानि Sitz Bath लाभदायक होता है। इससे गुदे की मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द के साथ सूजन भी कम होती है। Sitz Bath लेते समय गर्भवती महिलाओं के लिए ज़्यादा गर्म पानी के टब में बैठना शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। स्नान गुनगुने पानी से ही करें और गर्भावस्था की सावधानियों का ख्याल रखें।
2. बवासीर के घरेलू उपचार में मूली का उपाय सबसे असरदार माना जाता है। मूली के जूस में नमक मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें और रस में शहद मिलाकर गुदा के आसपास के हिस्से पर लगाने से दर्द और सूजन में आराम मिलता है।
3. हमेशा हल्के और ढीले-ढाले कपड़े पहनें, इसके साथ प्राइवेट पार्ट्स की नियमित रुप से साबुन से  सफाई रखें ।
4. नियमित रुप से 8-10 गिलास पानी पीएं और अन्य तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा  करें।
5. ज्यादा तला और मसालेदार खाना खाने से परहेज करें। फाइबर और विटामिन्स से भरपूर खाद्य पादर्थों का सेवन करें जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज का सेवन करें।
बवासीर की दवा (Piles Medicine)
1. बवासीर को दवाओं के माध्यम से भी ठीक किया जा सकता है। जिससे गुदा के पास की सूजन और दर्द को कम किया जा सके। लेकिन 7 दिनों से ज्यादा इन दवाओं का उपयोग करना घातक हो सकता है। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर ही दो या दो से अधिक दवाओं का सेवन करें।
2. कॉर्टिकोस्टेरॉइड्सCorticosteroids ये गुदे के पास की सूजन और दर्द को कम करने में मदद करती है।
3. लूज मोशन - अगर आप लंबे समय से कब्ज से पीड़ित हैं, तो ऐसे में डॉक्टर्स पीड़ित को लूज मोशन(दस्त) की दवा दे सकते हैं। जिससे गुदा  के निचले कोलन पर दबाव कम किया जा सके।
बवासीर का सर्जिकल ऑपरेशन (Piles Surgical Operation)
आमतौर पर बवासीर दवाओं से ठीक होने वाली बीमारी है, लेकिन कई बार ये गंभीर रुप ले लेती है तो सर्जिकल ऑपरेशन की जरुरत पड़ती है। बवासीर से पीड़ित लगभग 10 में से 1 को सर्जरी से गुजरना होता है।
1. बैंडिंग:
बवासीर की चौथी यानि सबसे गंभीर स्थिति में बैंडिंग की जरुरत होती है। इसमें डॉक्टर मस्से से रक्त प्रवाह को रोकने के लिए लोचदार बैंड लगाता है। जिससे कुछ दिनों के बाद, रक्तस्राव बंद हो जाता है। ये तरीका सभी तरह सभी बवासीर के इलाज के लिए प्रभावी साबित होता है।
2. स्क्लेरोथेरेपी:
इस स्थिति में सूजन को कम करने के लिए दवा इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है। जिससे बवासीर यानि मस्से धीरे-धीरे सूखने लगते हैं। आमतौर पर ये तरीका बवासीर की दूसरी और तीसरी स्थिति में बेहद कारगर होता है। 
3. इन्फ्रारेड तकनीक :
इस प्रक्रिया में एक उपकरण का उपयोग रक्तस्रावी ऊतक को जलाने के लिए किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग प्राय : बवासीर की पहली और दूसरी स्थिति में किया जाता है।
4. हेमोराहाइडेक्टोमी:
इस इलाज के दौरानी में रक्तस्राव कर रहे अतिरिक्त ऊतक को सर्जरी करके हटा दिया जाता है। ये बेहद ही मुश्किल सर्जरी होती है। क्योंकि इसमें रीढ़ की हड्डी,मल पास करने में कठिनाई होने के साथ ही मूत्र पथ में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
5. हेमरॉइड्स स्टेपलिंग:
यह प्रक्रिया आमतौर पर हेमोराहाइडेक्टोमी की तुलना में कम दर्दनाक होती है लेकिन यह प्रक्रिया हेमरॉइड्स के दुबारा आने और मलाशय के आगे बढ़ने के जोखिम को बढ़ा सकती है, जिसमें मलाशय का हिस्सा गुदा (Anus) से बाहर धकेलता है।
बवासीर के समय की सावधानियां (Precautions Of Piles)
1.अपनी जीवन शैली को बदले 
2. शरीर का वजन न बढ़ने दें 
3. किसी प्रकार का नशा न करें और चाय कॉफ़ी भी कम लें 
4. हाई फाइबरऔर मल्टीविटामिन्स  फूड का सेवन करना
5. किसी प्रकार का तनाव न रखे या तनावमुक्त रहे  ।
6. बवासीर के लिए एक्सरसाइज करें
                 इस  समस्या से घर पर बचाव करने के लिए हमें कुछ सावधानी रखने की जरुरत होती है /
सबसे पहले हमें ध्यान रखना है कि अपना पेट हमेंशा साफ रखें कब्ज न बनने दें और मसालेदार खाने पिने से बचें /ज्यादा देर तक एक ही स्थान पर न बैठें /सुबह उठते ही तीन या चार गिलास पानी पिएं /खाने में काले नमक का उपयोग करें /सुबह जल्दी उठने की आदत डालें और साथ ही सूर्योदय से पहले सैर जरूर करें
साथ ही आप लोगो को आयुर्वेदिक घरेलु नुश्खे भी बताऊंगा कि हमें घर पर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए /

                                  Bawaseer ka ilaj hindi mai(hindi)

आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली मुख्य कम्पनिया 

1 हिमालय 

         दोस्तों हिमालय कम्पनी अपनी दवा को पाइलेक्स नाम से बनाती और बेचती है /ये दोनों तरह की दवा 
की दवा बनाती है /जो टेबलेट उसका नाम पाइलेक्स है और यह एक छोटी  प्लास्टिक डिब्बी में 60 टेबलेट्स की पैकिंग होती है /इसके साथ जो गुप्तांग में लगाने की tube है वो आपको २०g से शुरू होती है और इससे बड़ी साइज भी मिल जाती है /

2 बैदनाथ 

         बैद्यनाथ कंपनी अपनी दवा को अर्श कुठार के नाम से बनाती और बेचती है /इस टेबलेट का नाम पायराइड के नाम से जाना जाता है /इसके साथ एक पिने के लिए सिरप भी आता है /जिसको अभयारिष्ट के नाम से जाना जाता है /यदि कोई रोगी टेबलेट्स और सिरप का साथ साथ इस्तेमाल करता है तो बहुत ही जल्दी आराम मिलता है /

3 एमिल 

ऐमिल कंपनी अपनी टेबलेट्स को अमरोइड के नाम से बनाती और बेचती है /ये और कंपनी की दवाओं से सस्ती मिलती है और लगभग हरेक मेडिकल पर मिल जाती है /

4 पंतजलि 

पंतजलि कम्पनी अपनी दवा को दिव्य अर्शकल्प वटी के नाम से बनाती और बेचती है /इस कंपनी की दवाएं 
प्रभाव शाली होने के साथ महंगी भी बहुत हैं /आज के दौर में पंतजलि कंपनी के उत्पाद खूब बिक रहे हैं /

5 महृषि बद्री 

महृषि बद्री कंपनी अपनी दवा को पाइल्स लेस के नाम से बनाती और बेचती है /इस कंपनी की दवाएं सस्ती और प्रभावशाली होती हैं /यह कंपनी बहुत सारे प्रोडक्ट बनाती है 

6 डाबर 

डाबर कंपनी अपनी दवाओं को पाइलो चेक के नाम से बनाती और बेचती है /ये खाने की टेबलेट्स और गुप्तांग में लगाने की दोनों दवाओं को टेबलेट्स और जेल के नाम से बाजार में मिलती है /इसके इस्तेमाल में टेबलेट्स और सिरप दोनों का साथ साथ लेना बहुत ही आरामदायक और प्रभावी होता है /
    दोस्तों आप लोगों को मैंने बवासीर से संबधितआयुर्वैदिक दवाओं से अवगत करवाया है /यदि कोई भाई बहन इस रोग से परेसान है तो इन दवाओं को इस्तेमाल कर सकता है /लेकिन आप इन दवाओं का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें /

दोस्तों हमारा जीवन एक मशीन की तरह से होता है इसका हमें बड़े ध्यान रख रखाव करना चाहिए लेकिन बहुत बार ऐसा होता है कि हमारी इस मशीन में कई प्रकार की परेशानियां आ जाती हैं जिसमें से बवासीर भी एक आज के युग की भयंकर रोगों की श्रेणी में आता है | तो आज मैं आपको बवासीर रोग के बारे जानकारी प्रस्तुत करूँगा| 

बवासीर को चार स्थितियों में बांटा जाता है (Piles Stages)

1. बवासीर की पहली stage - इसमें गुदा के आसपास सूजन होती है गुदा के अंदर छोटे आकार के मस्से होते हैं। 
2. बवासीर की दूसरी stage - इसमें मस्से का आकार बड़ा होता है और ये गुदा के अंदर होते हैं लेकिन कई बार ये मल के धक्का लगने से बाहर आ जाते हैं, पर इन्हें अंदर किया जा सकता है।
3. बवासीर की तीसरी stage - बवासीर के तीसरे स्तर को प्रोलैप्सड बवासीर के नाम से भी जाना जाता है। इसमें मस्से गुदा के बाहरी हिस्से पर डेवलप होते हैं, जिन्हें पीड़ित बाहर लटका हुआ महसूस कर पाता है।
4. बवासीर की चौथी stage - ये स्थिति सबस ज्यादा तकलीफदेह होती है। इसमें गुदा के बाहरी हिस्से पर छोटी गांठ बन जाती  है, जिसमें दर्द के साथ खुजली का एहसास होता है। ऐसे में अगर इस गांठ में रक्त जमा हो, तो इसका समय से इलाज करवाना बेहद जरूरी होता है।

Piles Treatment In Hindi(बवासीर का इलाज हिंदी में)

piles treatment at home HINDI


बवासीर के लक्षण (Piles Symptoms)
1. आमतौर पर बवासीर (Piles) के लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं। दरअसल पाइल्स गुदा के आसपास एक सख्त दर्दनाक गांठ महसूस होना ही है । जमे हुए रक्त वाली गांठ को थ्रॉम्बोस्ड पाइल्स Thrombosed piles  कहा जाता है। ये बाहरी सतह पर होती है।
2. स्टूल पास (मल त्याग) करने के बाद भी बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को आंत्र (पेट) साफ न होने का एहसास होता है।
3. मल त्याग के बाद रक्त आना ।
4. गुदा के आस पास के क्षेत्र में खुजली होना और लाल रंग के निशान होना।
5. मल के त्यागने के दौरान दर्द या जलन होना।
इन स्थितियों में बवासीर हो सकती है गंभीर
1. अगर बवासीर से पीड़ित व्यक्ति एनीमिया से भी पीड़ित हो, तो उसके लिए बवासीर रोग बहुत नुकसान दायक  साबित हो सकता है।
2. गुदा से अत्याधिक रक्त स्राव होने पर।
3. मल त्याग को नियंत्रित करने में असमर्थता।
4. इंफेक्शन होने पर।
बवासीर के कारण (Piles Causes)
1. गर्भावास्था दौरान 
2. पेट में कब्ज रहने के कारण 
3. डायरिया(अत्यधिक दस्त लगने की वजह से )
4. भारी वजन उठाना
5. आनुवांशिक और बढ़ती उम्र

6 . बहुत अत्यधिक परिश्रम 
बवासीर का इलाज (Piles Treatment In Hindi)

1. आंतरिक बवासीर का इलाज
आंतरिक बवासीर के लिए डॉक्टर्स डिजिटल रेक्टल टेस्ट (DRE)या एक खास तरह की दूरबीन का उपयोग करते हैं। यह खास तरह की दूरबीन लाइट लेस एक खोखली ट्यूब होती है जिसे गुदा  में डालकर मलाशय के अंदर छोटे ऊतकों का सैंपल लेकर टेस्ट के लिए भेजा जाता है।
डॉक्टर एक डिजिटल रेक्टल परीक्षा (DRE) कर सकता है या एक प्रॉक्टोस्कोप का उपयोग कर सकता है। एक प्रोक्टोस्कोप एक खोखली ट्यूब होती है जो प्रकाश से सज्जित होती है। यह डॉक्टर को गुदा नहर को करीब से देखने की अनुमति देता है। वे मलाशय के अंदर से एक छोटे ऊतक का नमूना ले सकते हैं।
इसे फिर विश्लेषण के लिए Labratry में भेजा जा सकता है। इसके अलावा डॉक्टर्स बवासीर के साथ पाचन तंत्र संबंधी बीमारियों और कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण दिखाई देने पर कोलोनोस्कोपी टेस्ट के लिए भी रेफर कर सकते हैं।
बवासीर का घरेलू उपचार (Piles Treatment At Home)
1. अगर आप बवासीर से परेशान हैं, तो ऐसे में नमक वाले गर्म पानी के टब में बैठना यानि Sitz Bath लाभदायक होता है। इससे गुदे की मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द के साथ सूजन भी कम होती है। Sitz Bath लेते समय गर्भवती महिलाओं के लिए ज़्यादा गर्म पानी के टब में बैठना शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। स्नान गुनगुने पानी से ही करें और गर्भावस्था की सावधानियों का ख्याल रखें।
2. बवासीर के घरेलू उपचार में मूली का उपाय सबसे असरदार माना जाता है। मूली के जूस में नमक मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें और रस में शहद मिलाकर गुदा के आसपास के हिस्से पर लगाने से दर्द और सूजन में आराम मिलता है।
3. हमेशा हल्के और ढीले-ढाले कपड़े पहनें, इसके साथ प्राइवेट पार्ट्स की नियमित रुप से साबुन से  सफाई रखें ।
4. नियमित रुप से 8-10 गिलास पानी पीएं और अन्य तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा  करें।
5. ज्यादा तला और मसालेदार खाना खाने से परहेज करें। फाइबर और विटामिन्स से भरपूर खाद्य पादर्थों का सेवन करें जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज का सेवन करें।
बवासीर की दवा (Piles Medicine)
1. बवासीर को दवाओं के माध्यम से भी ठीक किया जा सकता है। जिससे गुदा के पास की सूजन और दर्द को कम किया जा सके। लेकिन 7 दिनों से ज्यादा इन दवाओं का उपयोग करना घातक हो सकता है। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर ही दो या दो से अधिक दवाओं का सेवन करें।
2. कॉर्टिकोस्टेरॉइड्सCorticosteroids ये गुदे के पास की सूजन और दर्द को कम करने में मदद करती है।
3. लूज मोशन - अगर आप लंबे समय से कब्ज से पीड़ित हैं, तो ऐसे में डॉक्टर्स पीड़ित को लूज मोशन(दस्त) की दवा दे सकते हैं। जिससे गुदा  के निचले कोलन पर दबाव कम किया जा सके।
बवासीर का सर्जिकल ऑपरेशन (Piles Surgical Operation)
आमतौर पर बवासीर दवाओं से ठीक होने वाली बीमारी है, लेकिन कई बार ये गंभीर रुप ले लेती है तो सर्जिकल ऑपरेशन की जरुरत पड़ती है। बवासीर से पीड़ित लगभग 10 में से 1 को सर्जरी से गुजरना होता है।
1. बैंडिंग:
बवासीर की चौथी यानि सबसे गंभीर स्थिति में बैंडिंग की जरुरत होती है। इसमें डॉक्टर मस्से से रक्त प्रवाह को रोकने के लिए लोचदार बैंड लगाता है। जिससे कुछ दिनों के बाद, रक्तस्राव बंद हो जाता है। ये तरीका सभी तरह सभी बवासीर के इलाज के लिए प्रभावी साबित होता है।
2. स्क्लेरोथेरेपी:
इस स्थिति में सूजन को कम करने के लिए दवा इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है। जिससे बवासीर यानि मस्से धीरे-धीरे सूखने लगते हैं। आमतौर पर ये तरीका बवासीर की दूसरी और तीसरी स्थिति में बेहद कारगर होता है। 
3. इन्फ्रारेड तकनीक :
इस प्रक्रिया में एक उपकरण का उपयोग रक्तस्रावी ऊतक को जलाने के लिए किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग प्राय : बवासीर की पहली और दूसरी स्थिति में किया जाता है।
4. हेमोराहाइडेक्टोमी:
इस इलाज के दौरानी में रक्तस्राव कर रहे अतिरिक्त ऊतक को सर्जरी करके हटा दिया जाता है। ये बेहद ही मुश्किल सर्जरी होती है। क्योंकि इसमें रीढ़ की हड्डी,मल पास करने में कठिनाई होने के साथ ही मूत्र पथ में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
5. हेमरॉइड्स स्टेपलिंग:
यह प्रक्रिया आमतौर पर हेमोराहाइडेक्टोमी की तुलना में कम दर्दनाक होती है लेकिन यह प्रक्रिया हेमरॉइड्स के दुबारा आने और मलाशय के आगे बढ़ने के जोखिम को बढ़ा सकती है, जिसमें मलाशय का हिस्सा गुदा (Anus) से बाहर धकेलता है।
बवासीर के समय की सावधानियां (Precautions Of Piles)
1.अपनी जीवन शैली को बदले 
2. शरीर का वजन न बढ़ने दें 
3. किसी प्रकार का नशा न करें और चाय कॉफ़ी भी कम लें 
4. हाई फाइबरऔर मल्टीविटामिन्स  फूड का सेवन करना
5. किसी प्रकार का तनाव न रखे या तनावमुक्त रहे  ।
6. बवासीर के लिए एक्सरसाइज करें
                 इस  समस्या से घर पर बचाव करने के लिए हमें कुछ सावधानी रखने की जरुरत होती है /
सबसे पहले हमें ध्यान रखना है कि अपना पेट हमेंशा साफ रखें कब्ज न बनने दें और मसालेदार खाने पिने से बचें /ज्यादा देर तक एक ही स्थान पर न बैठें /सुबह उठते ही तीन या चार गिलास पानी पिएं /खाने में काले नमक का उपयोग करें /सुबह जल्दी उठने की आदत डालें और साथ ही सूर्योदय से पहले सैर जरूर करें /
दोस्तों ये थी कुछ उपयोगी जानकारी हम सबके लिए जो मैंने आपसे शेयर की यदि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगे  और पसंद आये तो लाइक और शेयर करे मेरे इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करें|  धन्यवाद
     इसी के साथ आज के लिए इतना ही अपने विचारों से अवगत कराना न भूलें /
किसी भी प्रकार की जिज्ञासा के लिए कमेंट जरूर करें /
https://ayurvedraj.blogspot.com/2020/02/causes-and-treatment-of-irregular_20.html
https://ayurvedraj.blogspot.com/2020/02/corona-virus-treatment.html
https://ayurvedraj.blogspot.com/2020/02/motapa-kam-karne-gharelu-upay.html
https://ayurvedraj.blogspot.com/2020/01/how-to-cure-piles-permanently-with-home.html

          जयहिंद जय भारत जय आयुर्वेद 


टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट