इलायची के औषधीय प्रयोग

                                   इलायची के औषधीय प्रयोग      

                                                             🔸 इलायची🔸 



🔹इलायची औषधीय रूप से अति महत्त्वपूर्ण है । यह दो प्रकार की होती है – छोटी व बड़ी ।

🔹छोटी इलायची : यह सुंगधित, जठराग्निवर्धक, शीतल, मूत्रल, वातहर, उत्तेजक व पाचक होती है । इसका प्रयोग खाँसी, अजीर्ण, अतिसार, बवासीर, पेटदर्द, श्वास ( दमा ) तथा दाहयुक्त तकलीफों में किया जाता है ।

🔹औषधीय प्रयोग🔹 

👉🏻 अधिक केले खाने से हुई बदहजमी एक इलायची खाने से दूर हो जाती है ।

👉🏻 धूप में जाते समय तथा यात्रा में जी मिचलाने पर एक इलायची मुँह में डाल दें ।

👉🏻 १ कप पानी में १ ग्राम इलायची चूर्ण डाल के ५ मिनट तक उबालें । इसे छानकर एक चम्मच शक्कर मिलायें । २ – २ चम्मच यह पानी २ – २ घंटे के अंतर से लेने से जी – मिचलाना, उबकाई आना, उलटी आदि में लाभ होता है ।


👉🏻 छिलके सहित छोटी इलायची तथा मिश्री समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें । चुटकीभर चूर्ण को १ -१ घंटे के अंतर से चूसने से सूखी खाँसी में लाभ होता है । कफ पिघलकर निकल जाता है ।

👉🏻 रात को भिगोये २ बादाम सुबह छिलके उतारकर घिस लें । इसमें १ ग्राम इलायची चूर्ण, आधा ग्राम जावित्री चूर्ण, १ चम्मच मक्खन तथा आधा चम्मच मिश्री मिलाकर खाली पेट खाने से वीर्य पुष्ट व गाढ़ा होता है ।

👉🏻 आधा से १ ग्राम इलायची चूर्ण का आँवले के रस या चूर्ण के साथ सेवन करने से दाह, पेशाब और हाथ-पैरों की जलन दूर होती है ।

👉🏻 आधा ग्राम इलायची दाने का चूर्ण और १-२ ग्राम पीपरामूल चूर्ण को घी के साथ रोज सुबह चाटने से ह्रदयरोग में लाभ होता है ।

👉🏻 छिलके सहित १ इलायची को आग में जलाकर राख कर लें । इस राख को शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है ।

👉🏻 १ ग्राम इलायची दाने का चूर्ण दूध के साथ लेने से पेशाब खुलकर आती है एवं मूत्रमार्ग की जलन शांत होती है ।

सावधानी : रात को इलायची न खायें, इससे खट्टी डकारें आती है । इसके अधिक सेवन से गर्भपात होने की भी सम्भावना रहती है ।

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