तुलसी व तुलसी-माला
तुलसी व तुलसी-माला
तुलसी (Tulsi) एक प्रमुख पौधा है जो भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह हिन्दू धर्म में पूजनीय माना जाता है और बहुत सारी धार्मिक और आयुर्वेदिक गुणों के कारण भी प्रसिद्ध है। इसकी पत्तियों, दानों और बीजों का उपयोग विभिन्न चिकित्सा और आयुर्वेदिक उपचारों में किया जाता है। तुलसी के पौधे को घर के आंगन में या मंदिर के पास लगाया जाता है और इसे नित्य जल पूजा की जाती है।
तुलसी के पौधे की माला (Tulsi Mala) भी धार्मिक और स्पिरिचुअल संदेश के लिए महत्वपूर्ण है। इस माला में 108 बीज होते हैं और इसका प्रयोग ध्यान और जप में किया जाता है। धार्मिक और आध्यात्मिक प्रयोजनों के लिए तुलसी माला का धार्मिक महत्व बहुत उच्च माना जाता है। विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों और पूजाओं में इसका प्रयोग किया जाता है, जैसे कि जाप, पूजा, ध्यान आदि।
तुलसी का पौधा और उसकी माला ध्यान, शांति, और आध्यात्मिक उत्थान के लिए प्रयोग में लाया जाता है और इसके आसपास आध्यात्मिक वातावरण को बढ़ाने में मदद करता है।
तुलसी (Tulsi) एक पौधा है जो आमतौर पर हिन्दू धर्म में पूजा जाता है और इसे धार्मिक एवं आयुर्वेदिक उपयोग के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे होली और दीपावली के दिनों में पूजा जाता है और इसे "सुप्रभात" या "तुलसी विवाह" के रूप में भी पूजा जाता है।
तुलसी को एक सुरक्षित और पवित्र माना जाता है, और इसे लक्ष्मी का रूप माना जाता है जो सुख, समृद्धि और धन की देवी है। इसके पत्तों, बीजों, और पूजा में उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक रूपों में महत्वपूर्ण स्थान हैं।
तुलसी-माला एक माला है जो तुलसी की कटी हुई पत्तियों या दाने से बनती है। इस माला को धार्मिक पूजा और जप में उपयोग किया जाता है। धार्मिक अनुसरण करने वाले लोग इस माला को धारण करके भगवान की पूजा करते हैं और अपने मन को शुद्ध करने के लिए इसका जप करते हैं।
तुलसी का वैज्ञानिक नाम Ocimum tenuiflorum है और इसे हिन्दी में "तुलसी" और अंग्रेजी में "Holy Basil" कहा जाता है। इसके अलावा, तुलसी के पत्तों में आयुर्वेदिक औषधीय गुण होते हैं जिनका उपयोग सेहत के लाभ के लिए किया जाता है।
🌿 तुलसीदल एक उत्कृष्ट रसायन है। यह गर्म और त्रिदोषशामक है। रक्तविकार, ज्वर, वायु, खाँसी एवं कृमि निवारक है तथा हृदय के लिए हितकारी है।
🌿 सफेद तुलसी के सेवन से त्वचा, मांस और हड्डियों के रोग दूर होते हैं।
🌿 काली तुलसी के सेवन से सफेद दाग दूर होते हैं।
🌿 तुलसी की जड़ और पत्ते ज्वर में उपयोगी हैं।
🌿 वीर्यदोष में इसके बीज उत्तम हैं तुलसी की चाय पीने से ज्वर, आलस्य, सुस्ती तथा वातपित्त विकार दूर होते हैं, भूख बढ़ती है।
🌿 जहाँ तुलसी का समुदाय हो, वहाँ किया हुआ पिण्डदान आदि पितरों के लिए अक्षय होता है। यदि तुलसी की लकड़ी से बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करें तो वह कोटि गुना फल देने वाला होता है।
🌿 तुलसी सेवन से शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है। मंदाग्नि, कब्जियत, गैस, अम्लता आदि रोगों के लिए यह रामबाण औषधि सिद्ध हुई है।
🌿 गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, आवश्यक एक्युप्रेशर बिन्दुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक रोगों से रक्षा होती है तथा शरीर स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु की प्राप्ति होती है। शरीर निर्मल, रोगमुक्त व सात्त्विक बनता है। इसको धारण करने से शरीर में विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है तथा जीव-कोशों द्वारा धारण करने के सामर्थ्य में वृद्धि होती है। गले में माला पहनने से बिजली की लहरें निकलकर रक्त संचार में रूकावट नहीं आने देतीं । प्रबल विद्युतशक्ति के कारण धारक के चारों ओर चुम्बकीय मंडल विद्यमान रहता है। तुलसी की माला पहनने से आवाज सुरीली होती है, गले के रोग नहीं होते, मुखड़ा गोरा, गुलाबी रहता है। हृदय पर झूलने वाली तुलसी माला फेफड़े और हृदय के रोगों से बचाती है। इसे धारण करने वाले के स्वभाव में सात्त्विकता का संचार होता है। जो मनुष्य तुलसी की लकड़ी से बनी हुई माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुनः प्रसाद रूप से उसे भक्तिपूर्वक धारण करता है, उसके पातक नष्ट हो जाते हैं।
🌿 कलाई में तुलसी का गजरा पहनने से नब्ज नहीं छूटती, हाथ सुन्न नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है।
🌿 तुलसी की जड़ें कमर में बाँधने से स्त्रियों को, विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है। प्रसव वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है।
🌿 कमर में तुलसी की करधनी पहनने से पक्षाघात नहीं होता, कमर, जिगर, तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार नहीं होते हैं।
🌿 तुलसी की माला पर जप करने से उँगलियों के एक्यूप्रेशर बिन्दुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव दूर होता है ।
🌿 इसके नियमित सेवन से टूटी हड्डियाँ जुड़ने में मदद मिलती हैं ।
🌿 तुलसी की पत्तियों के नियमित सेवन से क्रोधावेश एवं कामोत्तेजना पर नियंत्रण रहता है ।
🌿 तुलसी के समीप पड़ने, संचिन्तन करने से, दीप जलने से और पौधे की परिक्रमा करने से पांचो इन्द्रियों के विकार दूर होते हैं ।
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