भोजन की सही पद्धति और इसके फायदे

                   भोजन की सही पद्धति और इसके फायदे 

नमस्कार दोस्तों 

 अक्सर हम एक दूसरे को बातें करते हुए सुनते हैं सिस्टम में ये कमी है फलाना सिस्टम में ये कमी है लेकिन हमारी संस्कृति को लेका कोई नहीं बोलता कि हम लोगो ने इस माहौल को कैसे बिगाड़ दिया है | हमें जब अपनी कमिया दिखाई देंगी तब हम लोग उनमें सुधार करके उनको ठीक करें ये हम सबकी जिम्मेदारी बनती है | 

अब हमारी भारतीय भोजन पद्धति को ही देख लीजिये आज सभी जगह शादी पार्टियों में खड़े होकर भोजन रिवाज चल पड़ा है लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमें जमीन पर बैठ कर भोजन करना चाहिए | खड़े होकर जो भोजन करने से जो नुक्सान होते है और बैठकर भोजन करने से जो फायदे हैं उन सब से आज मैं आपको अवगत करवाना चाहूंगा | 





1  खड़े होकर भोजन करने की आदत असुरों की होती है इसलिए इसे राक्षसी भोजन पद्धति भी कहते है | 

2 खड़े होकर भोजन करने से पेट पैरों और आँतों पर तनाव पड़ता है जिससे हमारे शरीर में गैस कब्ज और मंदाग्नि अपच जैसी बीमारिया जन्म लेती हैं | आप लोग जानते होंगे कि कब्ज से सभी रोगों की उत्पति होती है | 

3 खड़े होकर भोजन करने से  जठरग्नि मंद हो जाती है जिससे भोजन का पाचन सही से नहीं होता और अजीर्ण जैसे रोग भी होने की संभावना बढ़ जाती है | 

4  खड़े होकर भोजन ग्रहण करने से हमारे हृदय पर भी अतिरिक्त भार बढ़ जाता है जिससे हृदय से संबधित रोगो को बढ़ावा मिलता है | 

5 पैरों में चप्पल जुते होने से हमारे पैर गरम रहते हैं इससे शरीर की पूरी गर्मी जठराग्नि को प्रदीप्त करने में नहीं लग पाती है | 

6 बार बार लाइन में लगने से बचने के लिए थाली में इच्छा से ज्यादा  भोजन  भर लिया जाता है फिर या तो ठूंस ठूंस कर भोजन को खाया जाता है जो कि अनेक रोगों का कारण बनता है या अन्न का अपमान करते हुए बाकी भोजन को फेंक दिया जाता है | 

7 हम जिस थाली में भोजन करते हैं वो साफ़ और पवित्र होना चाहिए लेकिन इस कुरीति से भोजन के सभी पात्र अशुद्ध हो जाते हैं और भोजन करवाने वाले के सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं | 

8 शोर शराबे के वातावरण में खड़े होकर भोजन करने से थकान और आलस महसूस होता है जिससे हमारे शरीर और दिमाग पर नकारत्मक प्रभाव छोडते हैं | 

अब दोस्तों मैं आपको जमीं पर बैठकर भोजन करने के लाभ क्या क्या हैं उन विचारों को आपके समक्ष रखूँगा 


जो कि इस प्रकार हैं : -

1  सबसे पहले बताना चाहूंगा कि बैठकर भोजन करने को दैवीय पद्धति कहते हैं | 

2 दैवीय पद्धति सेभोजन करने से हमारे शरीर के सभी अंग आराम से अपना काम सही से करते हैं | 

3 बैठकर भोजन ग्रहण करने से भोजन का पाचन सही से होता है | 

4 आयुर्वेद के मतानुसार जब हम भोजन करते हों तब हमारे पैर ठन्डे रहने चाहिए इससे हमारे पेट की 

जठरग्नि प्रदीप्त होने में मदद मिलती है | साथ ही हमारे हृदय पर अनावश्यक दबाव नहीं बनता | 

5 बैठकर और पंगत में भोजन करवाते समय एक आदमी भोजन परोसने वाला होता है जो सबको उचित मात्रा में भोजन करवाता है और उचित मात्रा में भोजन करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और भोजन का अपमान भी नहीं होता | 

6 पंगत में या बैठकर भोजन करते समय परोसने वाले अलग होते हैं जिससे भोजन के पात्र को सभी के हाथ नहीं लगते जिससे भोजन की पवित्रता बानी रहने के साथ ही खाने वाले और खिलाने वाले दोनों के मन में प्रसन्नता बनी रहती है |

7 पंगत में या बैठकर भोजन करने वातावरण भी शांत रहता है और किसी को भी थकान या आलस नहीं आता | 

 दोस्तों ये थे कुछ भोजन करने के सम्बन्ध में सुविचार जो मैंने आपके समक्ष रखे यदि आप लोगों को अच्छा लगे तो अपने जीवन में उतारे और लाभ लें साथ ही इस पोस्ट को अपने पहचान वालो को शेयर जरूर करें | 

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