पीलिया रोग के लक्षण और उसका उपचार(Jauindice )

  पीलिया एक बीमारी है जो हमारे शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने से होती है। बिलीरुबिन का निर्माण शरीर के उत्तकों और खून में होता है। आमतौर पर जब किसी कारणों से लाल रक्त कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं तो पीले रंग के बिलीरुबिन का निर्माण होता है।

बिलीरुबिन लिवर से फ़िल्टर होकर शरीर से बाहर निकलता है, लेकिन जब किसी कारणों से लिवर के द्वारा फ़िल्टर नहीं होता है तो शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाती है और हमें पीलिया रोग हो जाता है।


यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें हमारे शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं खत्म के बराबर हो जाती हैं | पीलिया के मुख्य लक्षणों में आँखों के सफेद हिस्सा का पीला होना और शरोर का रंग भी हल्का पीला साथ ही भूख का बिलकुल बंद होना तथा जो भी खाते हैं वो हजम नहीं होता है।

अधिकतर मामलों में पीलिया नवजात शिशुओं को होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह वयस्कों को भी हो सकता है। इसके लक्षणों के आधार पर डॉक्टर पीलिया के प्रकार की पुष्टि कर इलाज की प्रक्रिया शुरू करते हैं।

समय पर पीलिया का इलाज नहीं कराने पर व्यक्ति की मोत तक हो सकती है इसलिए समय पर इसका उचित इलाज आवश्यक है।

इस लेख में हम लोग जानेंगे कि पीलिया क्या होता है, इसके क्या कारण और लक्षण हैं तथा इसका इलाज कैसे होता है आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

पीलिया रोग के लक्षण

पीलिया का सबसे बड़ा लक्षण त्वचा और आंखों का पीला होना है। इसके अलावा, पीलिया होने पर आप रोगी में निम्न लक्षणों को देख कर अंदाजा लगा सकते हैं:-



बुखार होनाऔर थकान होना

2 वजन घटना और कमजोरी 

3 भूख नहीं लगना और पेट में दर्द रहना 

4 सिर में दर्द रहना और शरीर में जलन होना

5 हल्के पिले रंग का मल होना कब्ज की शिकायत रहना 

6 पेशाब का रंग गहरा पीला होना कभी कभी खुजली और उलटी होना

अगर इन सभी लक्षण में से कोई लक्षण को किसी व्यक्ति में परतीत होते हैं या महसूस करते हैं या आपको इस बात की शंका है कि आपको पीलिया है तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए ।

पीलिया रोग किसको  हो सकता है 

नो महीने से पहले जन्मे शिशु को पीलिया रोग होने का खतरा अधिक होता है, क्योंकि उनका जो लिवर होता है वो पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता है। साथ ही, जिन शिशुओं को मां का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है उन्हें भी यह रोग होने का अंदेशा ज्यादा रहता है | 

पीलिया रोग की गंभीरता 

पीलिया की मुश्किलें इसके कारण और गंभीरता पर निर्भर करती हैं। पीलिया की संभावित जटिलताओं में निम्न शामिल हो सकते हैं 

1 एनीमिया जो भी व्यक्ति कुपोषण का शिकार होता है 

2 ब्लीडिंग किसी भी कारण से शरीर से रक्त की मात्रा काम हो गई हो

 3 इंफेक्शन किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन हुआ हो 

  • पीलिया रोग का उपचार 

    पीलिया का इलाज इसके होने के कारण पर निर्भर करता है। इस बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर व्यक्ति की जांच वगैरह कर के उचित इलाज कर सकते हैं जिसमें दवाओं का सेवन या छोटा मोटा ओप्रशन या व्यवहारिक बदलाव के माध्यम से और खान पान के बदलाव से शामिल है | 

    पीलिया में क्या खाना चाहिए 

    पीलिया रोग होने पर रोगी के परिवार वालों को रोगी के खान-पान का ख़ास ध्यान रखना चाहिए। आइये जानते हैं पीलिया में आपका खान-पान कैसा होना चाहिए।

    • 1 फलों का जूस पीएं

    • 2 ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं

    • 3 ताजा और शुद्ध भोजन करेंथोड़ा-थोड़ा खाना  दिन में 4-6 बार खाए

    • इन सबके अलावा, आप अपनी डाइट में निम्नलिखित चीजों को शामिल का सकते हैं

    • दही मूली प्याज पपीता टमाटर छाछ नारियल पानी आदि वस्तुओं को भी खाने में शामिल करें 

  • पीलिया में क्या नहीं खाना चाहिए

    पीलिया से पीड़ित होने की स्थिति में आपको कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए जिसमें मुख्य रूप से 

  • बाहर का खाना नहीं खाएं ,तली और मसालेदार भोजन से परहेज करें ,ज्यादा से ज्यादा आराम करें और मेहनत वाले काम करने से बचें | चाय कॉफी और तीखी वस्तुओं का सेवन न करें |               अंडा मॉस मछली का बिलकुल भी सेवा न करें 

  • पीलिया रोग की रोकथाम एवं बचाव 

  • वैसे तो कुछ खास सावधानियां बरतकर पीलिया से बचा जा सकता है। लेकिन डॉक्टर के अनुसार, पीलिया का बचाव करने के लिए लिवर का स्वस्थ होना अतिआवश्यक है, क्योंकि यही पाचक रस का उत्पादन करता है जो भोजन को हजम करने में मदद करता है।

    साथ ही, लिवर खून में थक्का बनने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। कुछ बातों का ध्यान रख कर लिवर को स्वस्थ रखा जा सकता है जो पीलिया की रोकथाम में मदद करता है  | 

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