Viral and maleria Fiver se bachne ke Genral upay (hindi) ज्वर या बुखार
Viral and maleria Fiver se bachne ke Genral
upay (hindi) ज्वर या बुखार
हैल्लो दोस्तों कैसे हैं आप सबस्वागत है एक बार फिर आपके अपने चैनल पर एक नई पोस्ट के साथ
दोस्तों मैं आप लोगो को अब अनेक घरेलु रोगों के बारे में जानकारी देते हुए उनसे बचने के घरेलु उपाय भी बताऊंगा /जिसमें खासतौर से बुखार है जो की कई प्रकार का होता है /बुखार को सब रोगो की जड़ कहा गया है /
आयुर्वेद में इसे रोगों का राजा कहा जाता है /यह जन्म से मृत्यु तक प्राणियों के शरीर में बस्ता है /इसका वेग जब बढ़ जाता है तब यह बहुत ही कष्टकारी होता है /ग्रंथों में बताया गया है की ज्वर के बिना प्राणी की मौत नहीं होती /मृत्यु के समय भी शरीर में बुखार होता है /बुखार या ज्वर से अनेक रोगों की उत्पति होती है /और बुखार की उत्पति पित्त के आक्रमण से होती है /दोस्तों उपचार बताने से पहले मैं आप लोगो को ज्वर या बुखार के भेद या प्रकार बताना चाहूंगा /
Viral and maleria Fiver se bachne ke Genral
upay (hindi) ज्वर या बुखार
1 सामान्य ज्वर :सामान्य लक्षण -शारीरिक तापमान में वर्द्धि और अकड़न ज्वर का मुख्य लक्षण है /स्वस्थ शरीर का तापमान ९८.४ डिग्री होता है /सामान्य ज्वर १०० से १०२ तक होता है /इससे उच्च तापमान तीव्र ज्वर में आता
है / इसी प्रकार ९६ से निचे भी ज्वर का जाना खतरनाक है /वैसे ज्वर खुद कोई रोग नहीं बहुत से रोगो में ज्वर
हो ही जाता है / हमारे शरीर में जो जीवन शक्ति है वह शरीर में बिगाड़ होने पर उसे दूर करने की चेष्टा करती है /
बस इसी कोशिश को ही बुखार कहते हैं /ज्वर को शरीर की प्रकृति मानकर ही उपचार करें /कभी भी बुखार को
दबाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए उसके मूल कारणों को देखकर दूर करने का प्रयत्न करें /बुखार को दबाने पर शरीर के अंगों में पारदाह और सूजन होने पर रक्त में विकृति आती है और यह विकृति खून में मिलने से ज्वर ज्वर हो जाता है /ठंड लगने भीगने धुप लगने अधिक परिश्रम करने और थकान आने से भी शरीर का तापमान बढ़ जाता है /शरीर का ताप थर्मामीटर से नपा जाता है /
दोस्तों पोस्ट थोड़ी बड़ी होने से इसके भाग आगे आने वाले समय के साथ मैं आपसे शेयर करूँगा /
यदि आप लोग स्वास्थ्य संबधी और आयुर्वेदिक ओषधियों के बारे जानने के लिए हमारी पिछली पोस्ट पढ़ सकते हैं /आप मेरे इस चैनल को सब्सक्राइब करलें or instagram facebook par folloe kare
मैं आपसे ज्वर बुखार का दूसरा भाग लेकर उपस्थित हूँ /आप लोग आयुर्वेद से संबधित कोई जानकारी लेना चाहते हैं तो आप मेरे ब्लॉग पर आएं और अपनी मनपसंद जानकारी हासिल कर लें /आज हम बात करेंगे बुखार नंबर दो की जिसमें आपको ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश करूँगा /आयुर्वेद के अनुसार दोस्तों ज्वर के आठ भेद होते हैं /१ वात ज्वर २ पित्त ज्वर ३ कफ ज्वर ४ वात पित्त ज्वर ५ पित्त कफज्वर ६ वाट कफ ज्वर ७ सन्निपात ज्वर ८ आगंतुक ज्वर /
अब मैं आपको बताऊंगा की बुखार आने के क्या क्या कारण हैं : प्रदूषण वाले माहौल में रहना ,बेकार या बासी भोजन ,ज्यादा उलटी या वमन होना,अत्यधिक शारीरिक या मानसिक मेहनत करना,अत्यधिक चिंता या शोक करना नशे के पदार्थों का अधिक सेवन करना,असमय प्रसव भी बुखार का कारण बनता है /
अब मैं आपसे इसकी यानी बुखार की चिकित्सा के बारे मैं कुछ विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ ध्यान दें
सबसे पहले तो रोगी को आराम करने दें साथ एक या दो दिन का व्रत रखवाएं जिसमें की आप रोगी को पतला दूध या फल आदि दे सकते हैं /उबालकर ठंडा किया हुवा पानी पिने को देना चाःइये /साबूदाने की खीर पीसी हुई मिश्री मिलाकर दे सकते हैं /पलंग या चारपाई पर आराम कराने के साथ ही रोगी नहाना या हाथ पेैर धोना बंद करें इसके अलावा अधिक मात्रा में दूध का सेवन करना ,अधिक सोना ,घी का खाना आदि भी रोगी को परहेज रखना चाहिए /नींद आने पर रोगी को सोने देना चाहिए /साथ ही आयुर्वेदि उपचार इस प्रकार करें १ पान का रास अदरक का रस बराबर मात्रा में लेकर उसमें शहद ६ माशा मिला कर दिन में दो बार दें २ तुलसी के सात पत्ते सात काली मिर्च पीसकर नीम की सात दातुन गिलोय १० ग्राम कूटकर १०० ग्राम पानी में उबालें इसमें सात बताशे डालें ५० ग्राम रह जाने पर उतारकर ठंडा करके रोगी को दिन में दो बार पिलाने से भी बुखार उतर जाता है/
३ तुलसी के पत्ते २० काली मिर्च २० अदरक ३० ग्राम एक छोटा टुकड़ा दालचीनी २५० ग्राम पानी में उबालें
इसमें २५ ग्राम मिश्री डालें १५० ग्राम रहने पर उतार लें ये काढ़ा हल्का गर्म रोगी को दिन में दो बार पिलाने से
बुखार नहीं आएगा/
आयुर्वेदराज में मैंने आप लोगो को मेरी पिछली पोस्टों में बताया है की हमारे जीवन में ज्वर के प्रकार कितने होते हैं और उनसे क्या हम बचाव कर सकते हैं /आज हम बात करेंगे की बुखार या ज्वर के जो भेद होते हैं उनमे एक होता है वात्त ज्वर /आज आपसे मैंने इसी बारे में विचार रखने की कोशिश की है /
तो दोस्तों वात्त ज्वर क्यों होता है ?
क्या आपने कभी विचार किया है नहीं तो मैं आज आपको बता देता हूँ /बहुत ज्यादा परिश्रम करने से, व्रत उपवास ज्यादा करने से ,किसी बात का ज्यादाशोक करने से ,मल मूत्र के वेग को अधिक देर तक रोक कर रखने से ,घबराने से ,खून के अत्यदिक स्राव से,अधिक स्त्री संसर्ग से,और अधिक देर तक जागने से भी ये ज्वर अपना असर दिखा देता है /
अब बात आती है इसके लक्षण की तो आप ध्यान रखें की मेहनत का काम न करने पर भी आलस रहना सरीर का वजन काम हो जाना मुँह का स्वाद कुछ अजीब सा रहना पेट में मीठा दर्द रहना शरीर का कांपना होठों में खुश्की रहना पेशाब में हल्का कालापन आना दस्त काम लग्न आदि तरह के लक्षण यदि आप को दिखाई दे तो आप अपना इलाज घर पर आयुर्वेदिक या देशी तरीके से कर सकते हैं /
इसके लिए कुछ नुश्खे आप लोगों के लिए बता रहा हूँ जो की आप लोग किसी भी ऐसे ज्वर पीड़ित व्यक्ति को दे सकते हैं /
पहला उपाय :-इस तरह के ज्वर से निजात पाने के लिए चिरायता गिलोय सुगन्धबाला गोखरू कटेरी कटाई शालीपर्णी और पर्शिनिपर्णी ये सब जड़ी बूटियों को बराबर भाग में लेकर काढ़ा बनाकर पिलाये तो सबसे अच्छा उपाय है और रामबाण इलाज है /ये सब वस्तुए आप किसी भी पंसारी की दूकान से खरीद सकते हैं /
दूसरा उपाय :-सोंठ जवासा कुटकी पाड़ अरंड की जड़ अडूसा कचूर और पोहकर मूल को सैम भाग ले कर काढ़ा बनाएं और रोगी को दो बार एक दिन में देने से भी वात्त ज्वर नष्ट हो जाता है /
तीसरा उपाय:-श्वांश पृश्निपर्णी सोंठ चिरायता जवासा मोथा दोनों तरह की कटेरी बड़ा गोखरू तथा गिलोय इन सभी को तीन माशा लेकर जौकुट करके काढ़ा बनाकर पिलाएं तो भी वात्त ज्वर के रोगी को आराम मिलता है /
आज आप लोगों के समक्ष मैंने अपनी जानकारी राखी है यदि आप लोगो को कभी जरुरत पड़े तो जरूर आजमाए और लाभ उठाएं / मेरी इन पोस्टों को आप अपने दोस्तों जानकारों को भी शेयर करें ताकि किसी भाई भी मेरे द्वारा दी गई जानकारी से लाभ ले सकें /आप लोगों को मेरी पोस्ट पसंद आएं तो मेरे चैनल को सब्सक्राइब करले ताकि आपको और अच्छी पोस्ट मिलती रहे /
अब आपसे लेता हूँ ईजाजत तब तक कोई और अच्छी सी पोस्ट लेकर आने तक
अब बात आती है इसके लक्षण की तो आप ध्यान रखें की मेहनत का काम न करने पर भी आलस रहना सरीर का वजन काम हो जाना मुँह का स्वाद कुछ अजीब सा रहना पेट में मीठा दर्द रहना शरीर का कांपना होठों में खुश्की रहना पेशाब में हल्का कालापन आना दस्त काम लग्न आदि तरह के लक्षण यदि आप को दिखाई दे तो आप अपना इलाज घर पर आयुर्वेदिक या देशी तरीके से कर सकते हैं /
इसके लिए कुछ नुश्खे आप लोगों के लिए बता रहा हूँ जो की आप लोग किसी भी ऐसे ज्वर पीड़ित व्यक्ति को दे सकते हैं /
पहला उपाय :-इस तरह के ज्वर से निजात पाने के लिए चिरायता गिलोय सुगन्धबाला गोखरू कटेरी कटाई शालीपर्णी और पर्शिनिपर्णी ये सब जड़ी बूटियों को बराबर भाग में लेकर काढ़ा बनाकर पिलाये तो सबसे अच्छा उपाय है और रामबाण इलाज है /ये सब वस्तुए आप किसी भी पंसारी की दूकान से खरीद सकते हैं /
दूसरा उपाय :-सोंठ जवासा कुटकी पाड़ अरंड की जड़ अडूसा कचूर और पोहकर मूल को सैम भाग ले कर काढ़ा बनाएं और रोगी को दो बार एक दिन में देने से भी वात्त ज्वर नष्ट हो जाता है /
तीसरा उपाय:-श्वांश पृश्निपर्णी सोंठ चिरायता जवासा मोथा दोनों तरह की कटेरी बड़ा गोखरू तथा गिलोय इन सभी को तीन माशा लेकर जौकुट करके काढ़ा बनाकर पिलाएं तो भी वात्त ज्वर के रोगी को आराम मिलता है /
आज आप लोगों के समक्ष मैंने अपनी जानकारी राखी है यदि आप लोगो को कभी जरुरत पड़े तो जरूर आजमाए और लाभ उठाएं / मेरी इन पोस्टों को आप अपने दोस्तों जानकारों को भी शेयर करें ताकि किसी भाई भी मेरे द्वारा दी गई जानकारी से लाभ ले सकें /आप लोगों को मेरी पोस्ट पसंद आएं तो मेरे चैनल को सब्सक्राइब करले ताकि आपको और अच्छी पोस्ट मिलती रहे /
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