महिलाओं की शारीरिक समस्याएं और निदान -अशोकारिष्ट
महिलाओं की शारीरिक समस्याएं और निदान अशोकरिस्ट
आमतौर पर सभी महिलाओं को अक्सर सिरदर्द चक्कर आना जी मितलाना और कमर दर्द होता रहता है /जिसके निवारण हेतु गांव की भोली भाली महिलाएं इधर उधर या मेडिकल से दवा ले लेती हैं /लेकिन ये सही नहीं है /इस बात को सभी महिलाएं नहीं जानती इसलिए हमारी ये जिम्मेदारी बनती है कि उन नासमझ
इसके लिए मैं महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आज कुछ जानकारी दूंगा जिससे महिलाओं में अक्सर ऐसी दिक्कतों में आप लोगो के काम आएगी /
अशोकारिष्ठ
अशोकारिष्ट से होने वाले वाले फायदे
1 एन्टी इंफ्लेमेटरी
2 हल्का सा एस्ट्रोजनिक
३.पेट फूलने की अवस्था मे आराम
४.पाचन शक्ति बढ़ाने वाला
५.हीमोग्लोबिन के स्तर में बढ़ोतरी करे
६ मासपेशियों को आराम दे
७.एन्टी ऑक्सीडेंट
८.तनाव को सामान्य करने में सहायक
दोस्तों सिरप को यदि आप घर पर बनाना चाहेंतो घर पर बना सकते हैं /इसकी विधि और घटक यानी कि इसके बनाने में काम आने पदार्थ जोकि पंसारी की दूकान से खरीद सकते हैं /
ये घटक इस प्रकार हैं /अशोक छाल ,गुड़, धातकी पुष्प ,कृष्ण जीरा ,नागर मोथा ,शुंठ ,
दारुहरिद्रा ,हरीतकी ,विभीतकी ,आमलकी ,नीलकमल पुष्प ,वासा ,स्वेत जीरा ,लाल चन्दन आदि /
सबसे पहले अशोक की छाल को अच्छे तरह से कूट करके जल में मिलाकर मन्दाग्नि पर काढ़े निर्माण किया जाता है/ जब पानी एक चोथाई बचता है तो इसे निचे उतार लेते है/ अब संधान पात्र में काढ़े को डालकर उसमे गुड को घोला जाता है/गुड के अच्छी तरह घुल जाने के पश्चात इसमें सभी अन्य औषधि द्रवों का चूर्ण डालकर इस पात्र को ढक्कन से अच्छी तरह ढक दिया जाता है/
अब इस पात्र को निर्वात स्थान पर चालिश दिन या एक महीने के लिए सुरक्षित रख देते है/महीने पश्चात इसका निरिक्षण किया जाता है/परिक्षण में संधान पात्र में कान लगाकर सुनना एवं माचिस की जलती तीली को पात्र के मध्य में ले जाया जाता है/अगर सन-सन की आवाज आना बंद हो जाए एवं पात्र के बिच में जलती तीली ले जाने पर भी न भुझे तो इसे तैयार माना जाता है/
अच्छी तरह परिक्षण के पश्चात इस तैयार औषधि को छानकर कांच की शीशीयों में भर लिया जाता है/यह तैयार सिरप ही अशोकारिष्ट होती है/
यदि आप लोग मेरी पुराणी वाली पोस्ट नहीं पढ़ी हैं तो मैं ये लिंक्स आपको प्रोवाइड करवा रहा हूँ इन पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं ये आपको पीलिया रोग की पोस्ट पर http://bit.ly/2P3a5dc
http://bit.ly/2AnBeBZ
http://bit.ly/2rrKiBO
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सबसे पहले अशोक की छाल को अच्छे तरह से कूट करके जल में मिलाकर मन्दाग्नि पर काढ़े निर्माण किया जाता है/ जब पानी एक चोथाई बचता है तो इसे निचे उतार लेते है/ अब संधान पात्र में काढ़े को डालकर उसमे गुड को घोला जाता है/गुड के अच्छी तरह घुल जाने के पश्चात इसमें सभी अन्य औषधि द्रवों का चूर्ण डालकर इस पात्र को ढक्कन से अच्छी तरह ढक दिया जाता है/
अच्छी तरह परिक्षण के पश्चात इस तैयार औषधि को छानकर कांच की शीशीयों में भर लिया जाता है/यह तैयार सिरप ही अशोकारिष्ट होती है/
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