दवा भी सेहत भी अपने हाथ

                               दवा भी सेहत भी अपने हाथ



हमारे शरीर में  होने वाले रोग  मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं | 

1  कफ (cough)

2  वात (vaat )

3  पित्त (pitta )

इनसे बचाव के लिए तीनो के लिए अलग अलग आयुर्वेद की दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए | 

भले ही आपको यकीन न हो, लेकिन सिर्फ एक दवा का प्रयोग कर आप 100 प्रकार के वात रोगों से बच सकते हैं।  हां  बिलकुल सही पढ़ रहे हैं ,इस दवा का सेवन करने से राजा महाराजा भी निरोगी रहते थे वही नुश्खा आपके लिए  जिससे आप कठिन से कठिन बीमारियों से पूरी तरह से निजात पा सकते हैं और अपनी लाइफ स्टाइल को स्वस्थ रख सकते हैं | 

 अगर आपको भी होते हैं वात रोग, तो जानिए इस चमत्कारिक दवा और इसकी प्रयोग विधि के बारे में और इसका लाभ उठाएं और इस जानकारी को अपने जान पहचान रिश्तेदारों को भी शेयर करें :-

आपको निचे दिए गए आयुर्वेदिक तत्व पंसारी या देशी दवाओं के विक्रेता से घर पर ला कर ये दवा बनाए जिसकी विधि इस प्रकार है :-

            200 ग्राम लहसुन छीलकर पीस लें। अब लगभग 4 लीटर दूध में लहसुन व 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर गाढ़ा होने तक उबालें। फिर इसमें 400 ग्राम मिश्री, 400 ग्राम गाय का घी तथा सौंठ, काली मिर्च, पीपर, दालचीनी, इलायची, तमालपात्र, नागकेशर, पीपरामूल, वायविडंग, अजवायन, लौंग, च्यवक, चित्रक, हल्दी, दारूहल्दी, पुष्करमूल, रास्ना, देवदार, पुनर्नवा, गोखरू, अश्वगंधा, शतावरी, विधारा, नीम, सुआ व कौंचा के बीज का चूर्ण प्रत्येक 3-3 ग्राम मिलाकर धीमी आंच पर हिलाते रहें। जब मिश्रण घी छोड़ने लगे लगे और गाढ़ा हलवा के जैसा बन जाए, तब ठंडा करके इसे कांच की बरनी में भरकर रखें | 


 
प्रयोग : प्रतिदिन इस दवा को 20  से 25  ग्राम की मात्रा में, सुबह गाय के दूध के साथ लें (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।)परंतु ध्यान रखें, इसका सेवन कर रहे हैं तो भोजन में मूली, अधिक तेल व घी तथा खट्टे पदार्थों का सेवन न करें और स्नान व पीने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें | 
इससे होने वाले लाभ इस  प्रकार से  हैं  :- 
इससे पक्षाघात (लकवा), अर्दित (मुंह का लकवा), दर्द, गर्दन व कमर का दर्द
अस्थिच्युत (डिसलोकेशन), अस्थिभग्न (फ्रेक्चर) एवं अन्य अस्थिरोग, गृध्रसी (सायटिका) 
जोड़ों का दर्द, स्पांडिलोसिस आदि तथा दमा, पुरानी खांसी,हाथ पैरों में सुन्नता अथवा जकड़न 
कंपन्न आदि के साथ 80 वात रोगों में लाभ होता है और शारीरिक विकास होता है | 
दोस्तों ये थी कुछ उपयोगी जानकारी हम सबके लिए जो मैंने आपसे शेयर की यदि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगे  और पसंद आये तो लाइक और शेयर करे मेरे इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करें |  हिंदी और अंग्रेजी में उपयोगी जानकारी के अपडेट पाने के लिए हमारे फेसबुक पेज को विजिट और लाइक करें साथ ही अपने अमूल्य सुझाव लिखे |  धन्यवाद
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             जय भारत जय आयुर्वेद 

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